नमस्कार मित्रों ,
सबसे पहले मै "श्री सलिल वर्मा " जी को धन्यवाद देना चाहूंगा की उन्होंने मुझ जैसे नौसिखिये के लिए समय निकाला। सलिल जी आपका कोटि कोटि धन्यवाद ।
मेरी आयु २६ वर्ष है और जैसा की इस दुनिया के हर जीवित प्राणी को लगता है की उसने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है , मुझे भी बिलकुल ऐसा ही लगता है ।
लेकिन मेरे सामने इतने उदाहरण हैं जिन्होंने वास्तव में जीवन में संघर्ष किया है उनके बारे में सोचते ही मेरा अंतर्मन बगलें झाँकने लगता है । सच्चाई वास्तव में कड़वी ही होती है । वास्तव में आज मैं जो भी हूँ सिर्फ़ अपने परिवार की वजह से हूँ वरना मेरे अंदर कोई ऐसी खासियत नहीं है ।
मै और मेरा मंन अक्सर ये बातें करते हैं की सफलता का शॉर्टकट रास्ता क्या है ? मैंने बहुत विचार किया है इस विषय पर लेकिन कभी किसी से खुल के चर्चा नहीं कर पाया ।
इस सफलता के शॉर्टकट के चक्कर में मैंने पता नहीं कितने विधाओं में अपने हाथ आज़माए हैं की अब तो एक अंग्रेजी की कहावत है "जैक ऑफ़ आल ट्रेड्स, मास्टर ऑफ़ नन " इसे मैं अपने ऊपर बिलकुल सटीक मानता हूँ ।
अब फिर ऑफिस जाना है । सच में बिलकुल भी मंन नहीं है जाने का लेकिन जाना पड़ेगा वर्ना मैं खुद अपने मन को नहीं समझा पाउँगा की मैं भावुक हूँ या दुर्बल ।
नोट- ये मेरा हिंदी में टाइपिंग का पहला प्रयास है। त्रुटियों के लिये माफ़ करिएगा ।
धुंधली यादों को समेटने के प्रयास में-
नटवर लाल
सबसे पहले मै "श्री सलिल वर्मा " जी को धन्यवाद देना चाहूंगा की उन्होंने मुझ जैसे नौसिखिये के लिए समय निकाला। सलिल जी आपका कोटि कोटि धन्यवाद ।
मेरी आयु २६ वर्ष है और जैसा की इस दुनिया के हर जीवित प्राणी को लगता है की उसने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है , मुझे भी बिलकुल ऐसा ही लगता है ।
लेकिन मेरे सामने इतने उदाहरण हैं जिन्होंने वास्तव में जीवन में संघर्ष किया है उनके बारे में सोचते ही मेरा अंतर्मन बगलें झाँकने लगता है । सच्चाई वास्तव में कड़वी ही होती है । वास्तव में आज मैं जो भी हूँ सिर्फ़ अपने परिवार की वजह से हूँ वरना मेरे अंदर कोई ऐसी खासियत नहीं है ।
मै और मेरा मंन अक्सर ये बातें करते हैं की सफलता का शॉर्टकट रास्ता क्या है ? मैंने बहुत विचार किया है इस विषय पर लेकिन कभी किसी से खुल के चर्चा नहीं कर पाया ।
इस सफलता के शॉर्टकट के चक्कर में मैंने पता नहीं कितने विधाओं में अपने हाथ आज़माए हैं की अब तो एक अंग्रेजी की कहावत है "जैक ऑफ़ आल ट्रेड्स, मास्टर ऑफ़ नन " इसे मैं अपने ऊपर बिलकुल सटीक मानता हूँ ।
अब फिर ऑफिस जाना है । सच में बिलकुल भी मंन नहीं है जाने का लेकिन जाना पड़ेगा वर्ना मैं खुद अपने मन को नहीं समझा पाउँगा की मैं भावुक हूँ या दुर्बल ।
नोट- ये मेरा हिंदी में टाइपिंग का पहला प्रयास है। त्रुटियों के लिये माफ़ करिएगा ।
धुंधली यादों को समेटने के प्रयास में-
नटवर लाल